Not known Factual Statements About Hindi poetry

स्वतंत्रता है तृषित कालिका बलिवेदी है मधुशाला।।४५।

तारकदल से पीनेवाले, रात नहीं है, मधुशाला।।३८।

कल की हो न मुझे मधुशाला काल कुटिल की मधुशाला।।६१।

आँखिमचौली खेल रही है मुझसे मेरी मधुशाला।।९२।

माँग माँगकर भ्रमरों के दल रस की मदिरा पीते हैं,

जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर कब का वार चुका,

साकी बन आती है प्रातः जब अरुणा ऊषा बाला,

बेलि, विटप, तृण बन मैं पीऊँ, वर्षा ऋतु हो मधुशाला।।३०।

सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।।१।

सकुशल समझो मुझको, सकुशल रहती यदि साकीबाला,

अलग-अलग पथ बतलाते सब पर मैं यह बतलाता हूँ -

युग युग से है पुजती आई नई नहीं है मधुशाला।।५५।

कितने अरमानों की बनकर कब्र खड़ी है get more info मधुशाला।।८९।

आज मिला अवसर, तब फिर क्यों मैं न छकूँ जी-भर हाला

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